Wednesday, August 13, 2008

एक कला है तारीफ करना

एक कला है तारीफ करना
anil aggarwal

कहते हैं कि निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय.. यानी जो आपकी निंदा करता हो, तो उससे बचना नहीं, बल्कि उसे अपने निकट रखना चाहिए। दरअसल, जब कोई आपकी आलोचना करता है, तो इसका मतलब है कि आपके किसी कार्य या आपकी पर्सनैल्टी में कोई न कोई ऐसी कमी है, जिसे ठीक करने की जरूरत है। लेकिन यह भी सच है कि कोई हर वक्त अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहता। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि आप अपनी आदतों में दूसरों के अच्छे ार्यो की तारीफ करना भी शामिल करें। जरूरत तारीफ की दरअसल, तारीफ का मुख्य उद्देश्य होता है किसी के अच्छे कार्य या पर्सनैल्टी के किसी विशेष गुण को सकारात्मक अर्थो में संबंधित व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप में या दूसरों के सामने व्यक्त करना। ऐसा करने से दूसरों की नजरों में उस व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व व कार्यो की अहमियत बढ़ जाती है। मिसाल के तौर पर यदि कोई स्टूडेंट पढ़ाई के साथ-साथ रचन यदि किसी के अच्छे कार्यो की तारीफ करना जानते हैं, तो सभी के चहेते बन सकते हैं। तारीफ करने की कला बता रही हैं डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमेन की प्रिंसिपल डॉ. अरुणा सीतेश : नात्मक गतिविधियों में भी अव्वल हो और उसके कार्यो को पॉजिटिव रूप में उसके सामने या फिर जब वह समूह में हो, तो सम्मानजनक शब्दों के साथ उसकी सराहना की जाए, तो निश्चित रूप से ऐसी प्रशंसा ेभविष्य में बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। निंदा कम, प्रशंसा ज्यादाआम लोगों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि अपनी तारीफ सुनकर ही अधिकांश लोग उत्साहित होते हैं और निंदा से हतोत्साहित। परीक्षा में अच्छा परफॉर्म न करने वाले किसी स्टूडेंट को यदि लगातार उसकी कमियां ही गिनाई जाती रहें, तो ऐसी स्थिति में हो सकता है कि उसका आत्मविश्वास ही डगमगा जाए। वहीं, यदि उसके किसी खास गुण को तलाश कर प्रशंसा की जाए, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि अगली बार वह बेहतर कर दिखाए।तारीफ करें, तो दिल से दुनिया में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है, जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसी की भी झूठी प्रशंसा करने लगते हैं। ऐसा करके वे कुछ समय के लिए तो अपना काम निकाल सकते हैं, पर जब इस कथित प्रशंसा की पोल खुलती है, तो उन्हें लज्जित भी होना पड़ता है। प्रशंसा करते समय इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखें : 4तारीफ करते वक्त ऐसा बिल्कुल न लगे कि आप सामने वाले की चापलूसी कर रहे हैं। 4कुछ लोग एक व्यक्ति की प्रशंसा करने के लिए उसके सामने दूसरे व्यक्ति की निंदा करने लग जाते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। यदि किसी ने अच्छा कार्य किया है, तो पॉजिटिव ढंग से उसकी प्रशंसा करने में बिल्कुल कंजूसी न करें। सामने वाले के कार्य से असंतुष्ट होने पर ऐसा कुछ न कहें, जिससे उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे। झूठी तारीफ करने से बाज आएं। अपनी स्वार्थ सिद्घि के लिए किसी की प्रशंसा न करें, यानी तारीफ करें, तो दिल से..।
Have a nice day........................
anil aggarwal..................!!!!!!!!!!!!!!!!!!